भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज IEX देश का प्रमुख बिजली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, जिसने 2008 में अपनी स्थापना के बाद से भारत के विद्युत क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। हालांकि, हाल के महीनों में नियामक बदलावों और बाजार की चुनौतियों के कारण कंपनी के शेयर में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। इस लेख में हम IEX की वर्तमान स्थिति, इसकी चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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IEX का परिचय और महत्व
भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज की स्थापना जून 2008 में हुई थी और यह केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC) द्वारा नियंत्रित है। यह एक्सचेंज पूरे देश में बिजली, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा प्रमाणपत्रों के भौतिक लेनदेन के लिए स्वचालित ट्रेडिंग मंच प्रदान करता है। IEX ने भारत में बिजली ट्रेडिंग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसमें राज्य विद्युत बोर्ड, ऊर्जा उत्पादक कंपनियां, थोक व्यापारी एवं औद्योगिक उपभोक्ता शामिल हैं।
कंपनी ने दिन-पूर्व (Day-Ahead), समय-पूर्व (Term-Ahead) और ग्रीन/नवीकरणीय ऊर्जा बाजार जैसे विभिन्न सेगमेंट विकसित किए हैं, जिससे भारत में बिजली की पारदर्शी मूल्य खोज संभव हुई है। घरेलू स्वामित्व वाला यह एक्सचेंज देश भर में लगभग 8,100 से अधिक स्टेकहोल्डरों को जोड़ता है और भारतीय बिजली ट्रेडिंग का 85-99% हिस्सा नियंत्रित करता है।
हालिया शेयर प्रदर्शन और गिरावट
IEX के शेयर का प्रदर्शन पिछले कुछ महीनों में काफी अस्थिर रहा है। सितंबर 2024 में कंपनी का शेयर 52-सप्ताह के उच्च स्तर ₹244.35 पर पहुंचा था, लेकिन इसके बाद गिरावट का दौर शुरू हुआ। मार्च 2025 में यह ₹151.05 (52-सप्ताह न्यूनतम) तक आ गया।
पिछले एक वर्ष में शेयर लगभग 3% की गिरावट दर्ज कर चुका है, वहीं वर्ष-प्रारंभ से यह करीब 6.2% नीचे है। विशेष रूप से पिछले तीन महीनों में लगभग 11.4% की गिरावट रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 24 जुलाई 2025 को CERC द्वारा मार्केट कपलिंग को मंजूरी देने के बाद, उसी दिन IEX का शेयर 15% तक गिरकर ₹159.70 तक आ गया।
मार्केट कपलिंग: मुख्य चुनौती
IEX के शेयर में गिरावट का मुख्य कारण हालिया नियामक निर्णय है। CERC ने पावर मार्केट कपलिंग लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें दिन-पूर्व (DAM) और बाद में रियल-टाइम (RTM) एवं अन्य सेगमेंट शामिल होंगे। मार्केट कपलिंग के तहत सभी एक्सचेंजों के खरीद-बिक्री के ऑर्डर केंद्रीकृत होंगे, जिससे IEX के पावर एक्सचेंज के रूप में पारंपरिक मूल्य खोज की भूमिका कमजोर हो सकती है।
यह निर्णय IEX के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि कंपनी वर्तमान में बिजली ट्रेडिंग बाजार में अपना एकाधिकार रखती है। ICICI Securities का अनुमान है कि IEX के ट्रेड का लगभग 85% हिस्सा Day-Ahead मार्केट से आता है। मार्केट कपलिंग लागू होने पर यह वॉल्यूम अन्य एक्सचेंजों में स्थानांतरित हो सकता है, जिससे IEX के मौजूदा बाजार शेयर को नुकसान होगा।
इस नियामक बदलाव की खबरों का तुरंत प्रभाव बाजार पर देखने को मिला। जब 11 जून 2025 को सरकार के ‘मार्केट कपलिंग’ पर विचार करने की खबर आई, तो IEX के शेयर लगभग 10% तक लुढ़क गए। हालांकि, 9 जुलाई को जब मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार मार्केट कपलिंग को “मेजर सुधार” नहीं मानती, तो निवेशकों को थोड़ी राहत मिली और शेयर में लगभग 5% की तेजी आई।
अन्य बाजार कारक
मार्केट कपलिंग के अलावा, अन्य बाजार कारकों ने भी IEX के प्रदर्शन को प्रभावित किया है। जून 2025 में मॉनसून की जल्दी बरसात से बिजली की मांग कम रही, जिससे एक्सचेंजों पर ट्रेड वॉल्यूम अपेक्षित से कम बढ़ा। जून में केवल 6.5% की वार्षिक वृद्धि देखी गई, जो अपेक्षाओं से काफी कम थी।
साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति बढ़ने से बिजली की कीमतें नीचे गईं, जिससे IEX के मासिक औसत मूल्य (MCP) में गिरावट देखी गई। InCred Equities की रिपोर्ट के अनुसार, जून तिमाही (Q1 FY26) में IEX की वॉल्यूम वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी रही (केवल 15% YoY), हालांकि रियल-टाइम और ग्रीन मार्केट में क्रमशः 41% और 51% की वृद्धि हुई।
विशेषज्ञों की राय
बाजार विशेषज्ञों की मिली-जुली राय है। JM Financial Institutional Securities की रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में देशव्यापी मार्केट कपलिंग लागू होने की संभावना कम है, लेकिन निवेशकों को लंबे समय के लिए सतर्क रहने की चेतावनी दी है।
दूसरी ओर, IEX के CMD सत्यानारायण गोयल ने विश्वसनीयता जताते हुए कहा है कि उनकी मजबूत तकनीकी प्लेटफॉर्म और समयबद्ध सेवाओं के कारण ग्राहक वफादार बने हुए हैं, और भविष्य में भी इसके चलते बड़ा ग्राहक आधार बना रहेगा।
भविष्य की संभावनाएं
भविष्य की दृष्टि से, यदि मार्केट कपलिंग को लागू करने में समय लगे या स्वरूप में संशोधन हो, तो IEX को कुछ अस्थायी राहत मिल सकती है। हालांकि, लंबी अवधि में पावर मार्केट की केंद्रीकृत नीतियां और बढ़ती प्रतिस्पर्धा IEX के लिए नई चुनौतियां लाएंगी।
CERC ‘एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक प्राइस’ मॉडल की दिशा में काम कर रहा है, जिसके तहत MBED (मार्केट बेस्ड इकोनॉमिक डिस्पैच) जैसी पहलों से बिजली की केंद्रीयकृत शेड्यूलिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसके बावजूद, कुछ सकारात्मक विकास भी हैं। बिजली के डेरिवेटिव्स (वायदा अनुबंध) का आने वाला लॉन्च ट्रेड वॉल्यूम बढ़ाने में मदद कर सकता है। इस साल अब तक IEX के शेयर में करीब 13% की बढ़ोतरी हो चुकी है, जो बाजार के दीर्घकालिक विश्वास को दर्शाता है।
निष्कर्ष
IEX भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन नियामक बदलावों के कारण इसके सामने गंभीर चुनौतियां हैं। मार्केट कपलिंग का क्रियान्वयन कंपनी के पारंपरिक व्यापार मॉडल को प्रभावित कर सकता है। निवेशकों को इस स्थिति में सतर्क रहना चाहिए और नियामक विकास पर नजर बनाए रखनी चाहिए। भविष्य में बिजली बाजार की बढ़ती ग्रीन एनर्जी भागीदारी और नए वित्तीय उत्पाद IEX के कारोबार को नई दिशा दे सकते हैं।
By: aktv.in
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