भारत की प्रमुख कंपनी ITC का नया दांव: ग्रामीण भारत और स्वदेशी निर्माण में ₹20,000 करोड़ का निवेश लिमिटेड ने अगले 5-6 वर्षों में ₹20,000 करोड़ के बड़े निवेश की घोषणा की है। यह निवेश घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने के लिए किया जाएगा। कंपनी के चेयरमैन संजीव पुरी ने यह महत्वपूर्ण घोषणा हाल ही में आयोजित वार्षिक आम बैठक (AGM) में की।
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‘भारत-फर्स्ट’ रणनीति का फोकस
ITC का नया दांव: ग्रामीण भारत और स्वदेशी निर्माण में ₹20,000 करोड़ का निवेश के चेयरमैन संजीव पुरी ने AGM में स्पष्ट किया कि कंपनी की ‘भारत-फर्स्ट’ रणनीति के तहत पहले देश में गहरी पैठ बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी, इसके बाद ही वैश्विक विस्तार पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह पूंजीगत व्यय घरेलू विनिर्माण आधार को बढ़ाने और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने पर केंद्रित होगा।”
यह निवेश प्रधानमंत्री मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के अनुरूप है। ITC का नया दांव: ग्रामीण भारत और स्वदेशी निर्माण में ₹20,000 करोड़ का निवेश ने पहले ही अपने 250+ कारखानों में 90% से अधिक कच्चे माल की खपत भारतीय किसानों और उद्योगों से करने की उपलब्धि हासिल की है।
मुख्य निवेश क्षेत्र और योजनाएं
FMCG और खाद्य प्रसंस्करण में विकास
ITC ने पिछले कुछ वर्षों में FMCG, सतत पैकेजिंग और कृषि-आधारित मूल्य संवर्धित उत्पादों के लिए आठ अत्याधुनिक संयंत्र स्थापित किए हैं। कंपनी के FMCG पोर्टफोलियो की वार्षिक उपभोक्ता खर्च क्षमता ₹34,000 करोड़ से अधिक है और यह 260 मिलियन से अधिक परिवारों तक पहुंचता है।
हाल ही में आईटीसी ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए हैं, जिनमें ऑर्गेनिक फूड ब्रांड 24 Mantra Organic, योगा बार (हेल्दी स्नैक्स कंपनी) और फ्रोजन फूड निर्माता Prasuma शामिल हैं। इन अधिग्रहणों से आईटीसी के खाद्य प्रसंस्करण व्यवसाय में उल्लेखनीय मजबूती आई है।
कंपनी ने पिछले तीन वर्षों में लगभग 300 नए FMCG उत्पाद लॉन्च किए हैं, जिनमें स्वास्थ्य, पोषण और स्वाद की विभिन्न श्रेणियां शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के सांडिला में एक नया इंटीग्रेटेड कंज्यूमर गुड्स उत्पादन केंद्र भी तैयार हो रहा है।
कृषि और मूल्य संवर्धित उत्पाद
ITC की कृषि-व्यापार पहल ITC MAARS अब 2,050 से अधिक कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) और 22 लाख किसानों तक पहुंच चुकी है। यह निवेश कृषि उद्योगों में मूल्य-वर्धित प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाएगा, जिससे किसानों को नए बाजार मिलेंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी।
आईटीसी का ई-चौपाल नेटवर्क पहले ही किसानों को सीधे बाजार की जानकारी और उचित मूल्यों तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम हो जाती है।
सतत पैकेजिंग और विनिर्माण
पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग उत्पादों की दुनिया भर में बढ़ती मांग को देखते हुए, ITC ने ‘Filo’, ‘Bioseal’ जैसे बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग उत्पादों में निवेश बढ़ाया है। अब पूरे देश में विनिर्माण इकाइयों का जाल मजबूत किया जाएगा, जिससे आपूर्ति में लचीलापन आएगा और स्थानीय कच्चे माल का उपयोग बढ़ेगा।
ग्रामीण और छोटे शहरों में विस्तार की योजना
चेयरमैन पुरी ने ग्रामीण क्षेत्रों में मांग के सुधार के संकेतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “ग्रामीण [मांग] बेहतर है और लगातार सुधर रही है।” आईटीसी के 25 से अधिक भारतीय ब्रांड अब करीब 260 मिलियन घरों तक पहुंच रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या ग्रामीण परिवारों की है।
कंपनी का वितरण नेटवर्क पहले ही ग्रामीण इलाकों तक फैला हुआ है। ई-चौपाल और आईटीसी के ग्रामीण नेटवर्क के जरिये हजारों गांव जुड़े हुए हैं। इस नए निवेश से इन क्षेत्रों में लॉजिस्टिक हब और उत्पादन इकाइयां बढ़ेंगी, जिससे स्थानीय व्यापार और ग्रामीण लोगों की आय में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन
इस बड़े निवेश का आर्थिक प्रभाव व्यापक होगा। विशेषज्ञों के अनुसार बुनियादी ढांचे में हर ₹1 करोड़ निवेश से लगभग 200-250 व्यक्ति-वर्ष रोजगार सृजित होता है। इसी अनुपात से ₹20,000 करोड़ निवेश से लाखों व्यक्ति-वर्ष रोजगार पैदा होने की संभावना है।
उत्पादन इकाइयां, गोदाम और सप्लाई चेन नोड्स बनने से तकनीशियन, श्रमिक और प्रबंधकीय कर्मचारियों सहित हजारों नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। आईटीसी पहले ही अपने गैर-सिगरेट व्यवसाय से कंपनी की कुल आय का 65% अर्जित कर रहा है। FY21 से FY25 के बीच FMCG राजस्व लगभग ₹14,700 करोड़ से बढ़कर ₹22,000 करोड़ हो गया है।
सामाजिक प्रभाव और पर्यावरणीय पहल
ITC की पारिस्थितिक पहलों में 13 लाख एकड़ वनीकरण और 6.4 लाख एकड़ जैव-विविधता परियोजनाएं शामिल हैं, जिनसे ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन भी हुआ है। कंपनी के CSR कार्यक्रम शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में ग्रामीण समुदायों में सकारात्मक परिवर्तन ला रहे हैं।
नए उद्योग और खेती-संबंधी उपक्रमों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, किसानों की आय बढ़ेगी और गांवों में सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
तकनीकी प्रगति और भविष्य की दृष्टि
ITC के फूड-टेक प्लेटफॉर्म की बात करें तो इसके 60 से अधिक क्लाउड किचन देश भर के 5 शहरों में चल रहे हैं, जिनका तीन वर्षीय संचयी वृद्धि दर 108% रही है। यह दर्शाता है कि कंपनी तकनीकी नवाचार के साथ अपने व्यवसाय का विस्तार कर रही है।
पिछली बैठक में पुरी ने बताया था कि पिछले दो वर्षों में आईटीसी ने ₹4,500 करोड़ का पूंजीगत खर्च किया है, और अब अगले चरण में यह ₹20,000 करोड़ का व्यापक पैकेज लेकर आया है।
सरकारी नीतियों के साथ तालमेल
ITC की यह पहल पूरी तरह से केंद्र सरकार की नीतियों के अनुकूल है। कंपनी ने AGM में स्पष्ट रूप से कहा है कि वह ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘भारत-फर्स्ट’ रणनीति स्वदेशी विनिर्माण पर जोर देती है, जो आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों से पूर्णतः मेल खाता है।
इस निवेश से विनिर्माण गतिविधियां बढ़ेंगी, जिससे स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं और कुशल-अकुशल श्रमिकों को फायदा होगा। यह कदम प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक विकास के एजेंडे और राष्ट्रीय आर्थिक मजबूती की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है।
निष्कर्ष
ITC का यह ₹20,000 करोड़ का निवेश न केवल कंपनी के विकास के लिए बल्कि पूरे देश की आर्थिक प्रगति के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह निवेश रोजगार सृजन, कृषि विकास, पर्यावरण संरक्षण और तकनीकी प्रगति के साथ-साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कंपनी की ‘भारत-फर्स्ट’ रणनीति और सरकार की नीतियों के बीच तालमेल से यह सुनिश्चित होता है कि यह निवेश देश के समग्र विकास में योगदान देगा और आने वाले वर्षों में भारत की विनिर्माण क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
By: aktv.in
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