भारतीय Share बाजार की दिग्गज कंपनी Reliance इंडस्ट्रीज के Share में हाल की गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। 21 जुलाई 2025 को कंपनी के Share में 2.7% से 3% तक की तेज गिरावट देखी गई, जिसके बाद Share की कीमत ₹1,430-1,436 के स्तर तक पहुंच गई। यह स्तर जून 20 के बाद सबसे निचला है, जबकि इस वर्ष की शुरुआत से अब तक Share में लगभग 18% की वृद्धि हो चुकी थी।
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Reliance Quarterly Results’ Effect
रिकॉर्ड मुनाफा लेकिन मिश्रित प्रदर्शन
Reliance ने 19 जुलाई को अपनी जून तिमाही (Q1FY26) के परिणाम जारी किए, जिसमें कंपनी ने ₹30,783 करोड़ का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ दिखाया। हालांकि, यह लाभ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (लगभग ₹8,924 करोड़) एशियन पेंट्स में हिस्सेदारी बेचने से प्राप्त हुआ था। मुख्य व्यावसायिक गतिविधियों को देखें तो तस्वीर कुछ अलग नजर आती है।
रिटेल सेगमेंट की चुनौतियां
Reliance रिटेल का प्रदर्शन विश्लेषकों की अपेक्षाओं से नीचे रहा। जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, रिटेल सेगमेंट की EBITDA अनुमान से लगभग 4% कम रही। इस वर्ष की वृद्धि केवल 8% रही, जबकि अपेक्षा 16% की थी। इस धीमी वृद्धि के पीछे कई कारण हैं:
- मॉनसून का जल्दी आना: इससे इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री धीमी पड़ गई
- नए स्टोर खोलने में देरी: यह रिटेल विस्तार की रणनीति पर नकारात्मक प्रभाव डाला
- ग्रामीण मांग में कमी: मौसमी कारकों के कारण ग्रामीण और उप-ग्रामीण क्षेत्रों में मांग प्रभावित हुई
तेल-रसायन व्यवसाय का प्रदर्शन
Reliance के तेल-रसायन (O2C) व्यवसाय की EBITDA भी औसतन 5-6% नीचे रही। इसका मुख्य कारण जामनगर रिफाइनरी में योजनाबद्ध रखरखाव कार्य था, जिससे उत्पादन में गिरावट आई।
जियो की मजबूत स्थिति
सकारात्मक पहलू यह रहा कि रिलायंस की दूरसंचार इकाई जियो ने सबसे अच्छा प्रदर्शन दिया। मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, जियो की EBITDA अनुमान से 2% अधिक रही और पिछली तिमाही से 5% की वृद्धि हुई। अप्रैल 2025 में जियो ने लगभग 99 लाख नए ग्राहक जोड़े और ARPU को ₹208.8 तक बढ़ाया।
वैश्विक घटनाओं का प्रभाव
यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंध
यूरोपीय संघ के 18वें प्रतिबंध पैकेज में रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों पर नए प्रतिबंध शामिल हैं। यह Reliance जैसी भारतीय रिफाइनरी कंपनियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वे सस्ते रूसी कच्चे तेल से उत्पाद बनाकर यूरोप को निर्यात करती रही हैं। अब इन्हें नए बाजार तलाशने पड़ सकते हैं।
आपूर्ति श्रृंखला पर अनिश्चितता
इन नए प्रतिबंधों से Reliance की आयात-निर्यात श्रृंखला पर अनिश्चितता का माहौल बना है। कंपनी ने स्वयं भी कहा है कि वह इन नए प्रतिबंधों के प्रभाव का आकलन करेगी।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएं
ब्रोकरेज हाउसों की सिफारिशें
अधिकांश प्रमुख ब्रोकरेज फर्मों ने रिलायंस पर ‘खरीदें’ या ‘ओवरवेट’ रेटिंग बनाए रखी है:
- जेफरीज: लक्ष्य मूल्य ₹1,726
- एमके: लक्ष्य मूल्य ₹1,600
- नुवामा: लक्ष्य मूल्य ₹1,767
- मोतीलाल ओसवाल: लक्ष्य मूल्य ₹1,700
- जेपी मॉर्गन: ओवरवेट रेटिंग के साथ लक्ष्य मूल्य ₹1,695
अल्पकालिक चुनौतियां बनाम दीर्घकालिक संभावनाएं
मैक्वेरी ने आउटपरफॉर्म रेटिंग देते हुए अल्पकाल में गिरावट की चेतावनी दी है, लेकिन लक्ष्य मूल्य ₹1,500 रखा है। एंजेल वन के विश्लेषक ओशो कृष्णन का मानना है कि शेयर के ₹1,480-1,500 के स्तर से ऊपर जाने पर तेजी देखी जा सकती है।
नई ऊर्जा व्यवसाय की संभावनाएं
Emkay सहित कई विश्लेषकों ने बताया है कि Reliance का नया ऊर्जा व्यवसाय आने वाली चार से छह तिमाहियों में पूरी तरह से गति पकड़ने की स्थिति में है। यह दीर्घावधि में कंपनी का सबसे बड़ा विकास इंजन साबित हो सकता है।
निवेशकों के लिए रणनीति
खरीदारी का अवसर
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के क्रांति बाथिनी सहित कई विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि निवेशक इस गिरावट को खरीदारी के अवसर के रूप में देख सकते हैं। हालांकि रूसी तेल पर नए प्रतिबंधों से चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन दीर्घावधि में कंपनी की मजबूत स्थिति बनी रहेगी।
जोखिम प्रबंधन
निवेशकों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- तत्काल प्रभाव: अल्पकाल में शेयर में अस्थिरता जारी रह सकती है
- सेक्टरल चुनौतियां: रिटेल और तेल-रसायन व्यवसाय में अस्थायी मुश्किलें हो सकती हैं
- वैश्विक कारक: भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार नीतियों का प्रभाव
- मौसमी प्रभाव: मॉनसून और अन्य मौसमी कारकों का असर
दीर्घकालिक दृष्टिकोण
विशेषज्ञों का मानना है कि रिलायंस की मजबूत बुनियादी संरचना और विविधीकृत व्यवसाय मॉडल इसे दीर्घावधि में लाभकारी स्थिति में रखता है। नया ऊर्जा व्यवसाय, जियो की मजबूत स्थिति, और रिटेल नेटवर्क का विस्तार भविष्य की वृद्धि के मुख्य चालक होंगे।
निष्कर्ष
Reliance के Share में हालिया गिरावट मुख्यतः तिमाही परिणामों में कुछ सेगमेंट्स के अपेक्षा से कमजोर प्रदर्शन और वैश्विक भू-राजनीतिक कारकों के कारण है। हालांकि अल्पकाल में चुनौतियां हैं, लेकिन कंपनी की मजबूत बुनियादी संरचना और भविष्य की विकास योजनाओं को देखते हुए दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक अवसर हो सकता है।
निवेशकों को सलाह है कि वे अपने जोखिम सहनशीलता के अनुसार निवेश करें और किसी भी महत्वपूर्ण निवेश निर्णय से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है, और धैर्य के साथ दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना बेहतर रणनीति हो सकती है।
By: aktv.in





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