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Sensex व Nifty 50 लुढ़के, मार्किट क्रैश!

Stock market crash Sensex and Nifty fall

11 जुलाई 2025 को भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट देखी गई। इस दिन BSE Sensex 700 से अधिक अंक टूटकर 82,500 के नीचे कारोबार करने लगा, वहीं NSE Nifty 50 25,200 के नीचे लुढ़क गया. दिन के कारोबार के दौरान बाजार पूंजीकरण में भी करीब ₹3 लाख करोड़ से अधिक की गिरावट आई.


Stock market crash Sensex and Nifty fall
Stock market crash

मुख्य कारण

Sensex व Nifty की आईटी कंपनियों के कमजोर नतीजे

संकट की शुरुआत टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के जून तिमाही नतीजों से हुई। TCS ने 6% वार्षिक बढ़त के साथ शुद्ध लाभ ₹12,760 करोड़ दर्ज किया, लेकिन राजस्व में 3.1% की गिरावट आई. इस पर निवेशकों का भरोसा डगमगा गया. तेज अनिश्चितता के कारण कई विदेशी क्लाइंट तकनीकी खर्च टाल रहे हैं, जिससे बाजार सहभागियों ने एफवाई26 के लिए लाभ अनुमानों को घटाया. परिणामस्वरूप TCS के साथ साथ इंफोसिस, विप्रो आदि आईटी शेयर भी 1-3% तक टूटे, और निफ्टी IT सूचकांक कुल मिलाकर 1.6% नीचे आ गया. इस गिरावट का दबाव ऑटोमोटिव और तेल-गैस जैसे क्षेत्रों तक भी फैला, जबकि बैंकिंग एवं PSU बैंक सूचकांक करीब 0.5% नीचे रहे.

वैश्विक व्यापारिक तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कनाडा पर 35% और अन्य प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर 15-20% से अधिक नए टैरिफ लगाने की घोषणा ने वैश्विक असमंजस बढ़ाया. इस कदम से डर बढ़ गया कि इससे व्यापार युद्ध तेज होगा. समाचार के बाद अमेरिकी बाज़ारों में भी नास्डैक और S&P 500 के वायदा 0.4% तक गिर गए. इसी बीच एशियाई बाजारों में टोक्यो का Topix 0.7% चढ़ा और हांगकांग का हैंगसेंग 1.4% बढ़ा, लेकिन यूरोप के स्टॉक्स और अमेरिकी वायदा सूचकांक दबाव में रहे. इससे भारतीय निवेशकों में भी सतर्कता बढ़ गई।

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त

रूस पर नई प्रतिबंधों की अटकलों ने तेल की कीमतों को ऊपर धकेला। शुक्रवार सुबह ब्रेंट क्रूड लगभग $68.83 प्रति बैरल और अमेरिकी डब्ल्यूटीआई $66.81 पर था. महंगाई की आशंकाओं के चलते ऊर्जा क्षेत्र में भी दबाव दिखा. हालांकि अमेरिकी प्रधानमंत्री कार्यालय ने तेल आपूर्ति बढ़ाने की कोशिशें तेज की, लेकिन बीच में OPEC+ में उत्पादन वृद्धि की चिंताएं भी रही।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने जुलाई की शुरुआत में भारी बिकवाली की प्रवृत्ति दिखाई। रिपोर्ट्स के मुताबिक जुलाई के पहले चार सत्रों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार Sensex व Nifty से ₹5,772 करोड़ निकाले. इसके पीछे भारत-यूएस व्यापार समझौते की अनिश्चितता और पहले से ऊंची लगताएँ मुख्य वजह रहीं. उच्च मुद्राओं के बीच पैदाइशी जोखिम से बचते हुए निवेशक बिकवाली करते रहे, जिससे बाजार पर दबाव बना।

सेक्टर प्रदर्शन और वैश्विक संकेत

समग्र रूप से दस में से 13 मुख्य सेक्टर्स में गिरावट रही. Nifty Autoऔर Nifty IT सूचकांक में लगभग 1.6–2% की गिरावट आई, जबकि Nifty Oil and Gas सूचकांक भी 1% से अधिक नीचे रहा. इसके विपरीत, कुछ रक्षात्मक क्षेत्र जैसे फार्मा और एफएमसीजी सूचकांक लगभग 1% चढ़ गए. मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी करीब 1% तक लुढ़क गए.

वैश्विक बाजारों में गुरुवार को मजबूती रही; अमेरिका में S&P500 व नास्डैक ने रिकॉर्ड ऊंचाई छुई और Dow Jones 0.43% ऊपर बंद हुआ. लेकिन शुक्रवार को सुबह एशियाई बाजार मिले-जुले संकेत दिखा रहे थे: जापान, हांगकांग व चीन में तेजी थी, जबकि यूरोप और अमेरिका के वायदा सूचकांक गिरावट में थे. डॉलर की मजबूती से रुपया भी 85.64 के स्तर पर बंद हुआ.

विशेषज्ञों का दृष्टिकोण

विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा गिरावट के कई कारण आपस में जुड़े हुए हैं। वेंचुरा सिक्योरिटीज के वीणित बोलिन्जकर के अनुसार, “ऐसी कंपनियों को बाजार में दंडित किया जा रहा है, जिनके नतीजे उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं”. कोटक महिंद्रा एमएएमसी की वरिष्ठ फंड मैनेजर शिबानी कुरियन ने बताया कि निफ्टी भविष्य की आय (FY26 EPS) के लगभग 22 गुना PE पर कारोबार कर रहा है, जो ऐतिहासिक औसत से ऊँचा है. गेजोजित इन्वेस्टमेंट्स के सीआईओ वीके विजयकुमार ने भी कहा कि भारत अन्य प्रमुख बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर रहा है, जिसका मुख्य कारण हमारे उच्च मूल्यांकन हैं.

इन समग्र कारकों और विशेषज्ञों की सलाह के मद्देनजर, Sensex व Nifty निवेशकों के लिए फिलहाल सतर्क रहना सुझावित है.


By: aktv.in

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